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भैरव विज्ञान क्या है?

नमस्कार मित्रों भैरव विज्ञान को समझने से पहले भैरव क्या है इसे समझना होगा | जैसे कि सनातन धर्म ग्रंथो में भैरव शब्द का वर्णन बार-बार आता है | परंतु यदि हम भाषा की दृष्टि से भैरव शब्द की चर्चा करें तो फिर भैरव का अर्थ है भयावह, विनाशक, भयानक, भीषण, लेकिन जिस भैरव की चर्चा आज हम करने वाले हैं उसका अर्थ इन सब से भिन्न है | वर्तमान में भले ही आर्य नहीं रहे परंतु ईश्वर ने आर्यों को एक विशेष उद्देश्य से पृथ्वी पर भेजा था | वेद मार्ग और सनातन पंथ की स्थापना में आर्यों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी | परंतु आर्यों के द्वारा दिए गए ज्ञान और मार्गदर्शन का मनुष्यों ने हमेशा दुरुपयोग किया | धर्म और सत्य का अर्थ आर्यों ने मनुष्य को समझाने का प्रयत्न किया परंतु मानव ने इस सत्य को समझने में भूलकर दी जिसके फलस्वरुप कुछ ग्रंथों में अनेक प्रकार की त्रुटियां उत्पन्न हुई, दोष उत्पन्न हुए और इन त्रुटियों के कारण कुप्रथाओं और स्वार्थ मार्ग ने जन्म लिया | आर्यों का उद्देश्य था मनुष्यों को धर्म, न्याय और सत्य के मार्ग दिखाना और उनके अनुसार चलाना था लेकिन मनुष्य अपने स्वार्थ और अल्प बुद्धि के कारण धर्म के अर्थ को जान ही नहीं पाया | इसलिए हमारा उद्देश्य है कि हम पुन: उस धर्म और सत्य के ज्ञान को मनुष्य के सामने प्रस्तुत करें जो आर्य हमें समझना चाहते थे |

भैरव क्या है

जिस प्रकार किसी देश को चलाने के लिए नियम कानून और विधान की जरुरत पड़ती है उसी प्रकार इस सृष्टि को चलाने के लिए नियम, कानून और विधान होते हैं जिसे भैरव कहा जाता है | भैरव को समझने का ज्ञान और भैरव को जानने का ज्ञान को भैरव विज्ञान कहा जाता है | भैरव विज्ञान सभी मनुष्य, जीव और पदार्थ पर बिना किसी भेद के समान रूप से लागू होता है अर्थात इसका किसी जात, धर्म, पंथ, लिंग या आयु से संबंध नहीं है ये सब पर समान है | भैरव विज्ञान का सबसे बड़ा सिद्धांत “कर्म सिद्धांत” है | अब हम समझते हैं कि कर्म सिद्धांत क्या है- कर्म सिद्धांत का अर्थ है कि कोई भी जीव जैसा कर्म करेगा उसके अनुसार ही उसको परिणाम मिलेगा अर्थात किसी जीव या मनुष्य का भविष्य ईश्वर तय नहीं करेगा, बल्कि उसका कर्म उसका भविष्य बनाएगा, उद्धारण के लिए अगर कोई व्यक्ति किसी की हत्या करता है तो उसे उसका बुरा परिणाम मिलेगा ही, चाहे वह व्यक्ति हिंदू हो, मुसलमान हो, ईसाई हो, आदिवासी हो या फिर नास्तिक ही क्यों न हो | क्योंकि भैरव विज्ञान सृष्टि और प्रकृति का कानून है इसलिए ये सभी पर लागू होता है | भौतिक पदार्थों में गुरुत्वकर्षण, ग्रहों की गति, विद्युत, भौतिकी के नियम, तारे, अंतरिक्ष, पृथ्वी, और अणु परमाणु सभी भैरव विज्ञान के अनुसार चलते हैं | हम आशा करते हैं कि आपने भैरव और भैरव विज्ञान को समझ लिया है | परंतु अभी आपने भैरव विज्ञान के नियमों को नहीं समझा है, केवल एक ही नियम थोड़ा सा समझाया गया हैं जो है कर्म सिद्धांत का नियम |

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